मंगलवार, 26 जनवरी 2010

बिखरे गणतंत्र को बसाना है !

आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

इस महानतम गणतंत्र को
चलो! पुनः हम आबाद करें !
जो हुई गलतियाँ, सुधारें
छूटे लोगों को अब साथ करें !

क्यों बड़ी बड़ी हम बातें करते ?
डग एक नहीं जब भर सकते !
अंश भर सहयोग हर एक करे,
एक अरब फिर उसमे योग करे |

सर्वोच्च धर्म अपने अन्दर है
भ्रष्ट मन को पहले साफ़ करें
उसके बाद फिर बाहर झांकें
प्रेम का सबसे आगाज़ करें !

आज़ादी कोई छोटा खेल नहीं
गणतंत्र नहीं होता आसान ,
हर एक की जिम्मेदारी होती
जिसको धरती प्यारी होती !

कितने वर्षों का, कितने वीरों का
बलिदान हम व्यर्थ कर रहे
अपने को बाहर करके घर से
स्थिति पर आक्रोश कर रहे !

देश पर कब तक व्यंग करेंगे
भागेंगे अपने ही कर्तव्यों से,
अगर हम नहीं !तो कौन करेगा
व्यवस्था बनती हम सब से !

एक भी अगर छूट गया तो
एक कड़ी गिर गयी तंत्र से ,
हर एक को आगे आना है
जो पाना है कुछ गणतंत्र से !

आओ ! आवाजें कर लें भारी
सुप्त तंत्र को अगर जगाना है ,
हर एक को जोड़ें संग अपने
बिखरे गणतंत्र को बसाना है !

चलो ! स्वयं से शुरुवात करें
अपने मन में एक दीप जलाएं ,
कदम बढ़ाएं छोटा, जो बस में
देश को फिर सुखी समृद्ध बनायें !

----------------निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"

9 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 9:41:00 am IST बजे  

आओ ! आवाजें कर लें भारी
सुप्त तंत्र को अगर जगाना है ,
हर एक को जोड़ें संग अपने
बिखरे गणतंत्र को बसाना है !

चलो ! स्वयं से शुरुवात करें
अपने मन में एक दीप जलाएं ,
कदम बढ़ाएं छोटा, जो बस में
देश को फिर सुखी समृद्ध बनायें !
वाह समय पर सुन्दर सन्देश। आपकी निपुणता पर कोई शक नहीं । गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें

रानीविशाल मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 9:48:00 am IST बजे  

सुन्दर भावनाओ की सुन्दर अभिव्यक्ति!
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाए ...!!
निपुण भाई इसे भी पड़ प्रतिक्रिया व्यक्त करे -

http://kavyamanjusha.blogspot.com/2010/01/blog-post_25.html

कविता रावत मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 10:18:00 am IST बजे  

Bahut sundar bhavon or sandesh deti aapki kavita achhi lagi.. गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें

श्रद्धा जैन मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 10:59:00 am IST बजे  

देश पर कब तक व्यंग करेंगे
भागेंगे अपने ही कर्तव्यों से,
अगर हम नहीं !तो कौन करेगा
व्यवस्था बनती हम सब से !


bahut bahut sach kaha hai
har shabad achcha msg deta hua

gantantra diwas ki hardik shubhkamnaayen

समयचक्र मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 12:38:00 pm IST बजे  

गणतंत्र-दिवस की मंगलमय शुभकामना...

दिगम्बर नासवा मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 1:35:00 pm IST बजे  

आज़ादी कोई छोटा खेल नहीं
गणतंत्र नहीं होता आसान ,
हर एक की जिम्मेदारी होती
जिसको धरती प्यारी होती ...

आपने सही कहा है .... ये हम सब की ज़िम्मेवारी है की अपनी स्वतंत्रता और गणतंत्र की हिफ़ाज़त करें ........ आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई ........

समयचक्र मंगलवार, 26 जनवरी 2010 को 8:09:00 pm IST बजे  

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई .

अमोल सुरोशे (नांदापूरकर) बुधवार, 27 जनवरी 2010 को 9:23:00 am IST बजे  

बहोत अच्छी कविता ही निपुण ,

आपने सही कहा .. कब तक हम ऐसे हि रहेंगे .. जिस व्यवस्था को हम गालीया देते ही, उस सिस्टीम का सबसे बडा हिस्सा मतलब हम .. जाब हम हि नाही बदले पिचले ६० वर्षो मी तो ये सिस्टम कैसे बदलेगा .. ? किसी और को बदलाने से अच्छा ही कि हम आपने आप से हि क्योन न शुरुवात करे ..

इसी विषय पार मैने मराठी मी एक लेख लिखाणे कि कोशिश कि .. मुख्यमंत्री ब्लॉग देख सकते हो.. या जिजाऊ.कॉम

डॉ० डंडा लखनवी शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010 को 4:12:00 pm IST बजे  

हमने जो आजादी पायी है। उसे संभालने की जुम्मेदारी भी हमे उठानी होगी। आपकी रचना में व्यापक संदेश निहित है। बधाई - निपुण जी!

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