जय बोल....!
भारतीय सेना दिवस के अवसर पर भारत माँ के उस हर इक सपूत को समर्पित , जो हमारे इस सुखद जीवन के लिए अपने प्राणों की जरा भी फिक्र नहीं करता !
जय बोल जय जय बोल जय जय बोल
कर जयजयकार ए देश मेरे जय बोल
निज प्राणों की आहुति दे जो अमर हुए
वीर, देश के सेनानी की जय जय बोल |
उठा प्रतिज्ञा आने ना देंगे आंच तन पर
भारत माँ के , निज धर्मों का बंधन खोल,
रणबांकुरे ध्वस्त कर चले शत्रु के जाल ,
माँ के ऐसे हर सपूत की जय जय बोल |
निर्जन हिम खण्डों के ऊँचे धवल शिखर ,
गर्म रेत के असह्य सागर, पग तले टटोल !
हम सब की स्वप्निल सुखद नींद को जो
खड़े रहे निशि दिन, उनकी जय जय बोल |
त्याग जीवन मोह, वो फौलादी जिगर हुए,
लोहे ज्यों तप तप कर वो बने शत्रु के काल,
कर गर्जन कंपित कर दे दुश्मन की सांसें
सजग, देश के उस प्रहरी की जय जय बोल |
तज माया और धन की चकाचौंध, कर निज
कर्त्तव्य, मातृभूमि पर न्योछावर प्रति पल ,
जीता जो दुर्गम भू में नित निष्ठुर जीवन |
स्वार्थ में मत हो मगन देश, उसे मत भूल|
देश के उस हर सच्चे प्रेमी की जय बोल |
कर जयजयकार ए देश मेरे उसकी जय बोल |
--------------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"
6 टिप्पणियाँ:
देश के उस हर सच्चे प्रेमी की जय बोल |
कर जयजयकार ए देश मेरे उसकी जय बोल |
-जय हो!! बहुत बढ़िया निपुण!!
बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभार
main ise sweekar karti hun,kyonki army officer ki maa hun
desh bhakti se paripurna !!
उठा प्रतिज्ञा आने ना देंगे आंच तन पर
भारत माँ के , निज धर्मों का बंधन खोल,
रणबांकुरे ध्वस्त कर चले शत्रु के जाल ,
माँ के ऐसे हर सपूत की जय जय बोल
जय हो ......... शुक्र है देश की सेना का मनोबल ऊँचा है ........ आपके रचना बहुत ही जोश का सैलाब भरती है .......
jaikar har us rannbankure ki jo bhartmata ke charno main apne ko samarpit karta hai sirf aur sirf isliye ke hum hamara aaj hamara kal surakshit reh sake.....deshbhakti ki yeh rachna aapki aur sabhi kritiyo se sarvopari hai...
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