कहाँ आया बसन्त.......!! किसने देखा ?
सुना है बसन्त ऋतु आई है ! अभी अभी कैलंडर पे नज़र गई तो पता चला ! बसन्त पंचमी की शुभकामनाएं ! :):)
शुभ बसंत ये आया खिल उठी प्रकृति रे !
मुस्काते स्वागत गीत मधुर हर तरु से फूटे
शुभ्र पुष्प दल खिले खिले यूँ लगे महकने,
पल पल हर चंचल कोपल नयी छठा बिखेरे |
पीत वसन में लिपट धरा यूँ लगी सुहानी ,
सरसों झूमे दूर दूर तक, कोयल मधुस्वर छेड़े,
गुनगुनी धूप की प्यारी किरणे झलकी भू पर,
ऋतुराज के स्वागत गीत शीतल पवन संवारे |
ऐसे गीत तेरे स्वागत में, था हर कोई गाता ,
सुनता था मैं भी आता 'बसंत' ,ऐसा छा जाता,
बरसों पहले की यादें, इस बार नहीं मैं गा पाया,
ए शहर ! बता क्या बसंत कोई यहाँ पर आया ?
प्रकृति जो कंक्रीट की हो गई, कैसे अब सँवरेगी ?
प्लास्टिक के सुन्दर फूलों में, खुशबू क्या बिखरेगी?
तरु तो ऊँचे ऊँचे भवन हुए, क्या कोपल निकलेगी ?
बता मुझे ! बस गाने से क्या ऋतू प्यारी निखरेगी ?
रह गये बसंत तुम गीतों में ,बस याद हो आते ,
वन उपवन सौन्दर्य, दिलों में मादकता, झूठी बातें,
नयनों का सुख और मिलन ऋतू रह गई पीछे ,
वैसा ही जीवन यहाँ, बसंत ! तुम आते या जाते |
कैलंडर ये टंगा हुआ बस ! तेरी याद दिला पाता,
चाहता जब तुझे खोजना, गमले में शरमाता पाता |
धीरे धीरे तेरे स्वागत गीत मधुर भूल भी जाऊंगा,
क्या होता था बसंत? फिर ये भी ना बतला पाउँगा |
छुट्टी ले कुछ दिन में, फिर तुमको खोजने आऊंगा ,
दिख जाना जंगल में किसी, अगर बचे रह पाओगे |
वैसे भी अब प्रजातंत्र है ,राजाओ की एक ना चलती है,
इतिहास के पन्नो में ही बस ,'ऋतुराज' कहलाओगे !
---------------------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण "
11 टिप्पणियाँ:
kya baat hai...kya kahu itni acchi likhi hai..bar bar padhi hai...pata ni kyun mann dukhi bhi ho gaya hai ke hamne khud hi apne paryavaran ko kya se kya bana dala ke aaj basant ritu ko khojna padh ra hai geeto main kyunki najar to woh kahi nahi aati...bahut bahut badia nipun.
Too good :)
आपने सही कहाँ.....कहाँ है बसंत? तारीख है बसंत के आने की तो जाना, वरना ..................
बहुत अच्छी कविता मगर अभी तो पूर्वांचल में हाड कपाऊ ठण्ड है -कैसे करें स्वागत वसंत का
अपूर्ण जी
बसंत ऋतू पर प्रभावशाली रचना
बहुत बहुत आभार
प्रकृति जो कंक्रीट की हो गई, कैसे अब सँवरेगी ?
प्लास्टिक के सुन्दर फूलों में, खुशबू क्या बिखरेगी?
तरु तो ऊँचे ऊँचे भवन हुए, क्या कोपल निकलेगी ?
बता मुझे ! बस गाने से क्या ऋतू प्यारी निखरेगी
सच कहा अगर ऐसे ही पर्यावरण से छेड़छाड़ चलती रहेगी तो बसंत का आगमन कैसे होगा ...... .......... आपको बसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकमनाएँ .......
late hua aane me.
kinti achha lagaa kyoki itani pyari rachna se mulakat hui.
basant panchami beet chuki he, kintu basant to he..
प्रकृति जो कंक्रीट की हो गई, कैसे अब सँवरेगी ?
प्लास्टिक के सुन्दर फूलों में, खुशबू क्या बिखरेगी?
तरु तो ऊँचे ऊँचे भवन हुए, क्या कोपल निकलेगी ?
बता मुझे ! बस गाने से क्या ऋतू प्यारी निखरेगी ?
in savalo ke uttar har gambhir vyakti jananaa chahtaa he, kintu javaab bhi ham hi jaante he..jise pachaa bethe he. ye tamaam kartoot prakrati ki nahi balki hamaari hi he. kher..
छुट्टी ले कुछ दिन में, फिर तुमको खोजने आऊंगा ,
दिख जाना जंगल में किसी, अगर बचे रह पाओगे |
वैसे भी अब प्रजातंत्र है ,राजाओ की एक ना चलती है,
इतिहास के पन्नो में ही बस ,'ऋतुराज' कहलाओगे !
ye ummid nishchit roop se fir se basant louta laayegi..,
bahut achhi, utkrashth rachna likhi he aapne. badhai
* kinti nahi ise padhhe KINTU
chha gaya bahai
lekin haashiye ne zyada kamal kiya mere liye
prazatantra hai bhai
- Dadda
one of the best poem till date! :):) keep it up!:):)
umda.... छुट्टी ले कुछ दिन में, फिर तुमको खोजने आऊंगा ...
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