ज़िन्दगी का सफ़र...
लम्बा तो बहुत ये ज़िन्दगी का सफ़र है
धूप है, छाँव है, ख़ुशी भी हर डगर है|
बैठ के दो पल जो करें इसका सामना
मुस्कुरा के देख यहाँ रंगीन हर सफ़र है|
मौसम हैं कई इस दुनिया में खुदा की
हर हाल में जीना है तू इंसान अगर है |
साकी मेरे पैमाने में कुछ रंग तो भर दे
मैखाना-ए-दिल में जो थोड़ी सी कसर है |
ग़म रोज़ हर एक मोड़ पे मिलते ही रहेंगे
उनमें भी ख़ुशी खोज जो जज्बा-ए-जिग़र है|
क्यों तेरी निगाहों में "निपुण" अश्क़ दफ़न हैं
हंस बोल जरा जिन्द तेरी नूर-ए-नज़र है|
--------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"
1 टिप्पणियाँ:
bahut hi sundar hai aapake jindagi ka safar .......atisundar
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