मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

फ़िर आ गया हिन्दी दिवस ...

अभी कुछ दिन पहले मेरे कार्यालय मैं हिन्दी दिवस मनाया गया
तो उस पर कुछ पंक्तियाँ बन पड़ी थी
सविता जी हमारे यहाँ राजभाषा प्रभारी हैं...........


फ़िर आ गया हिन्दी दिवस
सविता जी बोली
खूब मिलेगा इनाम
गर कविता जो बोली

खुश था मैं और
सब दोस्त बोले
मौका है निपुण
थोड़ा पैसा बना ले

इस खुशी के बीच
अन्दर से आवाज़ आई
लगा कुछ कहने को
हिन्दी मेरे साक्षात आई

वो बोली , शर्म कर निर्लज्ज !
एक तो हिन्दी दिवस मना रहा है
और, इस झूठी जीत का तमगा
इतनी खुशी से हिला रहा है

थोडी सी हिन्दी जान
क्यों इतना इतरा रहा है
हिन्दी तेरा अस्तित्व
क्या इसे झुठला रहा है

माँ ने दिया जो तुझको
सारा प्यार हिन्दी
पिता के हर संस्कार का
आधार हिन्दी

भारतीयों के भाल का
अभिमान हिन्दी
सदियो पुराना देश का
सम्मान हिन्दी

देख कर अपनी ये हालत
आज कुछ यूँ लग रहा
मर चुकी कब की दिलों में
बरसी तू मेरी मना रहा

ये नहीं सोचा था मैंने
कि तू इतना कमजोर होगा
पश्चिम के एक झोंके मैं यूँ
भूल ख़ुद को, उड़ पड़ेगा

देखकर यह करुण क्रंदन
लज्जित हुआ,ख़ुद से मैं बोला
सोचता था हिन्दी, तेरी सेवा करूंगा
इस झोंके के वेग को , शायद मैं झेल लूँगा

पर, इस लहर ने मुझको भी
कुछ इस तरह बहा दिया
नाम था तब "निपुण" मेरा
आज मैं भी "निपुन" कह गया

मैं नहीं चाहूँगा इस कविता पे मेरी
एक भी ताली बजे
खुशी होगी मुझे, एक भी सीने मैं जब
शूल बन कर ये चुभे

------------ निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"

2 टिप्पणियाँ:

Unknown बुधवार, 8 अक्तूबर 2008 को 10:30:00 am IST बजे  

hii....bahut hi acchi hai yeh kavita...kahi jo kuch mann main hai aaj hindi bhasha ki vyatha ko dekh kar woh shabdo main piro diya hai aapne, jise shayad main ya maire jaise aur bhi log kabhi vyakt nai kar paate.

badhai aapko is kavita ke liye.

sangeeta verma

Sanjeev Kumar गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008 को 10:06:00 am IST बजे  

सही लिखा है दोस्त...मस्त कविता लिखी है .."वो बोली , शर्म कर निर्लज्ज ! " ..काबिलियत हैं दोस्त तुझमें तो.....नाम था तब "निपुण" मेरा आज मैं भी "निपुन" कह गया......सही फ्लो मैं लिखा है ...मज़ा आ गया पड़ के ...दिल गाद्गद हो गया ...बहुत जी आनंदित कविता है .

कविता by निपुण पाण्डेय is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License. Based on a work at www.nipunpandey.com. Permissions beyond the scope of this license may be available at www.nipunpandey.com.

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