तिरंगा कह रहा है ...
स्वतन्त्रता दिवस की वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएं.....:)
लहरा रहा है मदमस्त हो कर
पर नम इसका कोई कोना है,
देख हमको, तिरंगा कह रहा
कोई इसकी, अधूरी कामना है
गुलामी के चंगुल से मुक्त हुआ
कुर्बानी दे कर इसको छीना है
पर जो दिखाए थे इसको सपने
उनको अभी साकार होना है
आज भी है दर्द बाकी कहीं तो ,
फिर दिलों को संग सीना है
तिरंगे पर गर्व तो है सबको
पर इसे आसमां अभी छूना है
हर ललाट में तेज केसरिया,
श्वेत सुकून हर घर में होना है
हरी हरीतिमा हिय-आँगन में
गतिमान चक्र सा होना है
ऋचाए आज गाना चाहती हैं
आयतों का सुर ताल होना है
गुरुवाणी के पाठों, गिरजों का
संग एक बड़ा परिवार होना है
साँसों में, गर्मी की है जरुरत
कुछ लहू फिर कुर्बान होना है
वतन हमसे फिर कुछ मांगता है
ह्रदय में अब नव ज्वार होना है
अपने उन्मुक्त तिरंगे के साये में
मिलजुल कर सबको जीना है
आजाद हुए हम बरसों पहले
पर अभी नया सवेरा होना है
--------------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण "
5 टिप्पणियाँ:
स्वतंत्रा दिवस जी हार्दिक शुभकामनाएँ
अच्छी कविता ..
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..!!
ek behatarin kawita ................happy independence day
'पर जो दिखाए थे इसको सपने
उनको अभी साकार होना है'
baat aap ki sahi hai..lekin dekhte hain abhi aur kitna waqt lagega..62 saal to ho gaye azaadi ke!
'अपने उन्मुक्त तिरंगे के साये में
मिलजुल कर सबको जीना है
आजाद हुए हम बरसों पहले
पर अभी नया सवेरा होना है'
bahut achchee kavita likhi hai.badhaayee.
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुंदर रचना.... चक दे इंडिया
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