शनिवार, 10 जुलाई 2010

सह्याद्रि (मराठी )



चला चला सह्याद्रीच्या कुशी मध्ये,
हि सुंदर डोंगर रांग आणि धबधबे,
ढगांनी झाकलेले ते अभेद्य किल्ले, 
क्षणभर विसावा कधी गुहेमध्ये, 
खरच चला .. चला सह्याद्रीच्या सुंदर कुशी मध्ये..

----------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"

हिंदी  अनुवाद : 
चलो चलो सह्याद्रि की गोद में ,
ये सुन्दर पर्वत श्रंखलायें और झरने ,
बादलों में ढके हुए वो अभेद्य किले ,
क्षण भर कभी गुफा में आराम करो ,
चलो ! चलो सह्याद्रि की सुन्दर गोद में !

3 टिप्पणियाँ:

अमिताभ श्रीवास्तव रविवार, 15 अगस्त 2010 को 8:00:00 pm IST बजे  

अच्छा किया जो हिन्दी अनुवाद भी कर दिया अन्यथा नितांत गैर मराठी कैसे समझते?
वैसे यह मराठी में ज्यादा अच्छी लग रही है ..मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता है कि आप मराठी भी अच्छी तरह से जान-समझ और बोल लेते हैं।

कविता by निपुण पाण्डेय is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License. Based on a work at www.nipunpandey.com. Permissions beyond the scope of this license may be available at www.nipunpandey.com.

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP