फ़िर से एक बार ........
आओ बैठें जरा
कुछ सुनें
कुछ सुनायें
कुछ नए नगमे गायें
कुछ नई बात बतायें
फ़िर कुछ झिलमिल चादरें
डाल लें ख़ुद पे
वक़्त बहुत बीता
कुछ सिया
कुछ फट सा गया
आओ फ़िर एक बार
एक पैबन्द लगा दें
इसपे
फ़िर से सी दें इसे ......
------------ निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"
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