सोमवार, 23 नवंबर 2009

मेरा "मैं" !!!

सवालों से मेरा रिश्ता
थोडा गहरा है शायद
आज उलझ रहा था
फिर खुद से ही
पनपने लगा फिर एक सवाल

मैं दो हूँ क्या....
हाँ !
मैं एक नहीं, दो हूँ
और दोनों पूरा दिन
लड़ते रहते हैं बस !

अगर मैं कहूँ ऐसा
तो दूसरा कहे वैसा
कोई निश्चय हो
टांग अड़ा देता
खुद मैं ही, दूसरा वाला !

अगर ऐसा होता
दोनों दोस्त हो जाते
लेकिन नहीं !
इतनी उम्र बीत गई
नहीं हुए और शायद
हों भी ना कभी !

अगर ये एक होते
मैं, मैं नहीं होता
मैं यहाँ नहीं होता
मैं ऐसा नहीं होता
मैं क्या होता फिर ?
कैसा होता ?

शायद मैं वो करता
जो चाहता था
मैंने वही कहा होता
जो सोचा था सबसे पहले |
क्यों मजबूर होता हूँ
दूसरे मैं की खातिर ?
क्यों एक मैं, दबा देता है
दूसरे को
हमेशा !

बस !
लगा हूँ आज भी
मेल हो जाये बस !
फिर मैं करूँ , जो मैं चाहूँ!
मैं वो बनूँ , जो मैं चाहूँ !
मैं वो कहूँ , जो मैं चाहूँ !
कौन है ना जाने
मेरा दूसरा मैं ?
या
"मैं" ?

-----------निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"

Read more...

शनिवार, 21 नवंबर 2009

अर्थ जीवन का !!!

फिर आ गया हूँ
प्रश्न लेकर अपना पुराना
गतिमान मैं भी ,
जीवन भी मेरा
नए पथ , नूतन बसेरा |
प्रश्न मेरा आज भी है
किस तरफ पग चल पड़े हैं
क्या है अब इसका किनारा ?

मूंदता हूँ नेत्र अपने
खोलता जब पट घनेरे
दंभ भरता हूँ यकायक
मोह में किसके बंधा मैं ?
जान पड़ता अगले ही क्षण
नश्वर ये अभिलाषा है मेरी
क्षणिक बस ये रंग सुनहरे |

फिर नए पदचाप सुन
नए पथ के भ्रम में रत
नयी लय को झट पकड़
पग बढ़ाता एक
और फिर बस !
चल ही पड़ता अनवरत
किस दिशा में, कौन जाने?
छद्म के कोहरे में लेकिन
बूझता तब कोई मुझसे
पूछता या मैं स्वयं से
क्या लक्ष्य का संज्ञान मुझको ?
किस पथ का मैं पथिक |

इन तरंगों का अर्थ क्या
स्वार्थ इनमें लिप्त किसका
मुझमें जो उठती कभी हैं
फिर स्वयं बुझती सभी हैं ?

जीवन ये मेरा पथ अगर
क्या है इसका सच मगर
क्या लक्ष्य इसका 'अर्थ' है ?
इस कामना का अंत कब है ?

जड़ हुए हैं अब ये पग
विराम है, अब है चिंतन |
खोजनी है अब मुझे
परिभाषा अपनी !!
जानना है अब मुझे
अर्थ ,
जीवन का मेरे !!


----------------निपुण पाण्डेय "अपूर्ण "

Read more...
कविता by निपुण पाण्डेय is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License. Based on a work at www.nipunpandey.com. Permissions beyond the scope of this license may be available at www.nipunpandey.com.

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP