आर या पार
कामनाओं का संसार
भ्रांतियों से सरोबार
मरीचिका में उदित
अस्तांचल अन्धकार
दिशाओं से गुंजित
लोलुपता की झंकार
मानवता की मृत्यु
यहीं लेखा यहीं जोखा
'पुनर्जन्म थ्योरी' बेकार
आज नही तो कल, यहीं
फैसला , आर या पार |
-------निपुण पाण्डेय "अपूर्ण "
भ्रांतियों से सरोबार
मरीचिका में उदित
अस्तांचल अन्धकार
दिशाओं से गुंजित
लोलुपता की झंकार
मानवता की मृत्यु
स्वार्थ की पैदावार
यहीं लेखा यहीं जोखा
'पुनर्जन्म थ्योरी' बेकार
आज नही तो कल, यहीं
फैसला , आर या पार |
-------निपुण पाण्डेय "अपूर्ण "
1 टिप्पणियाँ:
sahi kaha... aaj nahin to kal..yahin faisla...aar ya paar.... nice written
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