फ़िर आया गणतंत्र दिवस ..
फ़िर आया गणतंत्र दिवस
इस वर्ष नवल आह्वान करें,
आओ जन जन के मन में
अब राष्ट्र प्रेम का भाव भरें |
आज अहम् को करें किनारे
और स्वयं से बात करे ,
करे देशहित में कुछ चिंतन
करना होगा मन का मंथन |
उनसठ साल अब बीत गए
भारत जबसे गणतंत्र बना,
आओ सोच विचार करे अब
कितना तंत्र, स्वतंत्र बना ?
उन्नति पथ पर हुआ अग्रसर
भारत ने जब आजादी पाई,
कुछ तो अब भी शेष रह गया
आज़ादी पूरी ना मिल पाई |
आओ ख़ुद को देश से जोड़े
देश नही तो हम क्या हैं ?
राष्ट्र प्रेम में जो न समर्पित
फ़िर हम भारतवासी क्या हैं ?
दुःख दरिद्र मिटाए इससे
आतंक के साये का नाश करे,
भ्रष्ट , तंत्र के रखवालों से
अब सत्ता को आजाद करे |
जन जन से ही मिलकर बनता
प्रजातंत्र का ये नारा है ,
तो फ़िर हमने ही क्यों इसको
भूल, देश को दुत्कारा है ?
नए जोश से ओत-प्रोत हो
छब्बीस जनवरी खूब मनाई,
अब खेनी है देश की नौका
जाग युवा, अब बारी आई |
अब पुनः विचार जरूरी है
कुछ नव निर्माण जरूरी है,
जन मानस को आज जगा कर
फूंकना प्राण जरूरी है |
उठो!आज फ़िर इस अवसर पर
पुनः एक संकल्प करें ,
जब तक देश खुशहाल न होवे
तब तक ना विश्राम करें |
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
---------- निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"